आबेद खान मूलसे हैदराबाद का रहने वाले था लेकिन काम के लिए वह गुलबर्गा आया था। वह अपनी पत्नी आयशा और नवजात बेटी के साथ किराए के कमरे में रहता था। वह कम पढ़ा लिखा और भोला था। आबेद की पत्नी आयशा हैदराबाद की रहने वाली थीं. आयेशा की उदगीर के सलीम के साथ विवाहेतर लैंगिक संबंध थे। आयशा ने आबेद को उदगीर आकर वहां काम करने को कहा. आबेद और उसकी पत्नी आयशा उदगीर आकर सलीम के घर में रहने लगे।
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आयशा का प्रेमी सलीम एक चोर था. वह सामान चुराकर अपने घर में रखता था। उसने गाडी की कुछ बैटरियां चुरा लीं और अपने घर में रख लीं। पुलिस को जैसे ही उसके ठिकाने के बारे में जानकारी मिली और फिर सलीम और आबेद की पत्नी आयशा दोनों उदगीर छोड़कर भाग गए। घर में सो रहे मासूम आबेद खान को उदगीर पुलिस ने चोरी के मामले में गिरफ्तार किया। जिस घर में आबेद रह रहा था, वहां से चोरी की बैटरियां बरामद कर ली गईं। पुलिस ने आबेद खान के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज कीं।
एमसीआर के बाद आबेद को लातूर जिला जेल भेज दिया गया। जब भी मैं जेल जाता था आबेद जमानत के लिए बिनती करता हुआ मुझे दिखाई देता था। उसके खिलाफ चोरी के तीन मामले लंबित थे। न्यायालय ने सभी मामलों में उसे जमानत मंजूर की थी लेकिन वह जमानत (surety ) नहीं देने के कारण वह लगभग 7 महीने जेल में रहा। मेरी एक जेल यात्रा के दौरान आबेद ने कहा कि उसकी नवजात बच्ची मर गयी है। उसे संदेह था कि बच्चे की हत्या उसकी पत्नी और उसके प्रेमी ने की है।
अंततः दो मामलों में आबेद को PR bond पर रिहा कर दिया गया और अंतिम मामले में प्रयास फाउंडेशन ने उन्हें नकद जमानत (cash surety) पर रिहा कर दिया।
निर्दोष आबेद खान को बिना किसी अपराध के कई महीनों तक जेल में रखा गया। जेल में ऐसे कई आबेद खान हैं जिन्होंने कोई अपराध नहीं किया है, लेकिन महज संदेह के आधार पर महीनों और सालों से जेल में बंद हैं।
~ Adv Vishnu Karle, Asst. Legal Aid Defence Counsel at Latur District Court.
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